कानपुर। पुलिसकर्मियों द्वारा उगाही किया जाना अब क बन अनि बार तो उच्च अधिकारियों के आदेश के बिना ही पुलिसकर्मी अपने जेब खर्च के लिए भी अक्सर चेकिंग का सहारा लेते पाए गए हैंहाल ही में हुए एक सर्वे के मुताबिक पुलिसकर्मियों द्वारा सिर्फ ट्रकों से वसूली जाने वाली सालाना की उगाही 48 हजार करोड़ रुपए से ऊपर है। बाकी गाड़ियों से की जाने वाली वसूली का आंकलन कर पाना बड़ा मुश्किल काम है। क्या आपको अंदाजा भी है कि शहर में फर्राटा मार रही प्राइवेट क्रेनें शमन शुल्क के नाम पर काटी जाने वाली पर्चियों की परी रकम खुद ही डकार रही है। ज्ञातव्य हो कि शहर में फर्राटा मार रही प्राइवेट क्रेनों को प्रतिदिन वसूली का एक टारगेट दिया जाता है। हालांकि ये क्रेन व्यापारी शहर में चल पूरी तरह से स्टैण्डर्ड तरीके से वसूली को अंजाम देने का काम कर रहे है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया के दौर में अब शहर भर के यातायातकर्मी उगाही के डिजिटल पैटर्न पर धड़ल्ले से वसूली कर रहे हैं। नो पार्किंग में खड़े आपके दोपहिया और चार पहिया वाहनों को उठाने वाली कई क्रेन शमन शुल्क के नाम पर जो पर्ची आपको थमाती हैं क्या उस पर्ची से अर्जित किया हुआ राजस्व शुद्ध तौर पर सरकारी खजाने में पहुंच रहा है या फिर आपको दी जाने वाली पर्ची पूरी तरह से फर्जी है? यहां पर यह सवाल उठना इसलिए लाजमी है क्योंकि हाल ही में हमारे संस्थान में कई ऐसी शिकायतें पहुंची जिनमें क्रेन द्वारा वसूले गए राजस्व के तौर पर थमाई गई पर्चियों में कई भिन्नताएं देखने को मिली जिनमें एक तरफ तो कई ऐसी पर्चियां शामिल थी जिनमें यातायात पुलिस लाइन की मोहर, दिनांक समेत संबंधित अधिकारी के हस्ताक्षर दर्ज थे जबकि दूसरी तरफ बिना मोहर, दिनांक और हस्ताक्षर के भी कई क्रेनों द्वारा डिजिटल पैटर्न पर उगाही की जा रही है। विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक क्रेन संचालकों के पास शमन शुल्क अर्जित करने के लिए दो प्रकार की बुकलेट मौजूद होती है जिनमें राजस्व का प्रतिदिन का टारगेट पूरा होने के बाद अपने स्वयं के टारगेट पर ध्यान देने का काम किया जाता है। इसमें जब कई बार गाड़ी चालक शमन शुल्क देने को अड़ जाते है तब इस दूसरी बुकलेट के माध्यम से उनसे शमन शुल्क ले लिया जाता हैं।
पीएम मोदी के डिजिटल इंडिया में शहर में चल रही डिजिटल उगाही