हमारी जिंदगी उस नाव की तरह है जो समय की धारा में अपने आप बहने लगती

हमारी जिंदगी उस नाव की तरह है जो समय की धारा में अपने आप बहने लगता है। हम एक निश्चित दिशा म आगे बढना चाहते है लकिन कभा-कभा समय का धारा अपने हिसाब से हमारी नाव का रुख मोड़ देती है। कुछ समय बाद हमें पता चलता है कि हमें कहां पहुंचना था और हम कहां पहुंच गए हैं। दरअसल, यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया हैइस समय मुझे दो मित्रों के जीवन की कहानी याद आ रही है। एक मित्र पढने में बहुत तेज था और इंजीनियर बनना चाहता था लेकिन घर की परिस्थिति ऐसी नहीं थी कि उसकी पढाई पर ज्यादा खर्च किया जा सके। वह केवल इंटरमीडिएट तक ही पढ़ पाया और आज अपनी एक छोटीसी दुकान संभाल रहा है। दूसरे मित्र के घर की स्थिति काफी अच्छी थी और वह पढ़ने में भी ठीक-ठाक था। वह -ठाक था। वह डॉक्टर बनना चाहता था। काफी तैयारी करने के बाद भी द भा वह प्रतियोगी परीक्षा में सफल नहीं हो पाया और आज वह आर आज वह पारवार का एक बड़ा व्यवसाय सभाल रहा ह इसका अथ यह नहा ह कि हम जा चाहत ह वह कभा पूरा नहीं होता। किसी भी काम के प्रति हमारी लगन और मेहनत ही री लगन और मेहनत ही हमारी सफलता का आधार बनती है। इसीलिए हमारे अन्दर आगे बढ़ने की चाहत हमेशा बनी रहती है। कई बार हम जिस रास्ते पर आगे बढ़ना चाहते है, परिस्थितिवश उस रास्ते पर आगे नहीं बढ़ पात । लकिन जब एक रास्ता बन्द होता है तो दूसरा रास्ता खुलता है। हम एक रास्ता बन्द होने धारा में अपने आप को ही जीवन का अन्त मान लेते हैं। यह स्थिति हमें मनोवैज्ञानिक रूप से भी परेशान करती है। जीवन के सहज प्रवाह के लिए हमें मनोवैज्ञानिक दबाव से बचने की हरसम्भव कोशिश करनी होगी। दोर्य के साथ तंटे दिमाग से विचार-विम हमें धैर्य के साथ ठंडे दिमाग से विचार-विमर्श करना होगा। इस समय दमौर्य के माध्यम से दी मनोवैजानिक दबाव कम कर समय हम धैर्य के माध्यम से ही मनोवैज्ञानिक दबाव कम कर सकते हैं। दससे टपो रास्ते पर चलने का सही नि सकता है। मानसिक तनाव की स्थिति से उबरने पर हमें एक साथ कर्ड रास्ते दिखाई देने लगते हैं। हम विचार-विमर्श कर ही किसी नित न पनपते हैं। दो से अनेक स्टार मिल जाएंगे कि लोग एक रास्ते पर चलकर सफल नहीं हो पाए लेकिन दूसरे रास्ते पर चलकर सफलता की एक नई कहानी लिख दीहमें ऐसे भी अनेक उदाहरण मिलेंगे कि लोग ताउम्र रास्ते बदलते रहे और उन्हें सफलता नहीं मिली लेकिन जिन्दगी के आखिरी और मालवाही मिली लेकिन शातिर पटात पड़ाव पर उन्हें अभूतपूर्व सफलता मिली। इसलिए हमें किसी भी कीमता कीमत पर निराश नहीं होना है। जरूरत इस बात की है कि हम निराश नहीं होना है। जरूरत टस बात की है कि दम पूरी ईमानदारी के साथ अपने रास्ते पर आगे बढें। आगे बढ़ने के जनन और हौसले से ही अन्तत हम सफल बनाते हैं।अगर आज का युवा लगातार सफलता के मार्ग पर आगे बढ़ रहा है तो इसके पीछे उसकी इच्छाशक्ति ही है। जब हम जी-जान से जुटते हैं तो वह इच्छा कब परी हो जाती है. पता भी नहीं चलता। कभी ऐसा भी होता है कि समय या फिर परिस्थितियों का एक तेज बहाव आता है और हमारे जीवन की नैया उस बहाव में बहने लगती है। यह सब इतनी तेजी से होता है कि हम कछ सोच-समझ ही नहीं आप बहने लगती पाते। ऐसे में हम अपनी जिन्दगी को कोसने लगते हैं। ऐसे सफर के लिए अपनी जिन्दगी को दोष देना उचित नहीं है? हां, कभी-कभी हम जीवन की नैया उस भंवर में फंसा देते हैं। हालांकि उस समय हमारा मन उस भंवर की तरफ जाने की इजाजत नहीं देता लेकिन शायद किसी स्वार्थ के वशीभत होकर ही ऐसा होता है। कई बार हम जल्दी और तेज चलने के चक्कर में अपने जीवन की नैया तेज बहाव की ओर ले जाते हैं लेकिन हमारी तैयारी उस तेज बहाव के अनुरूप नहीं होती है। ऐसे में हमारी नैया तेज बहाव में बह जाती है और हमारे हाथ कुछ नहीं लगता। इसलिए हमें कुछ ठोस बिन्दुओं पर कार्य करने की कोशिश करनी होगी। ऐसी परिस्थिति में समझदारी तो इसी में है कि हम भंवर से बाहर निकलने के उपायों पर विचार करें। लगातार अपनी जिन्दगी को दोष देने का अर्थ है कि हम व वास्त वास्तविकता से दूर भाग रहे हैं। अपनी जिन्दगी को दोष देकर हम थोड़े समय के लिए तो अपने आपको संतुष्ट कर सकते हैं लेकिन लम्बे समय तक नहीं ।दरअस नहीं ।दरअसल, जिन्दगी अपने तरीके से चलती है। हमें परिश्रम और ईमानदारी के साथ आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। लगातार प्रयास करने से सफलता मिलने की संभावना बढ़ जाती है। जरूरी नहीं जिन्दगी में सब कुछ हासिल हो जाए। अगर, हमें जिन्दगी में बहुत जल्दी सब कुछ हासिल हो जाएगा तो जिंदगी में थ्रिल खत्म हो जायेगा। इसलिए जिन्दगी में हमेशा कछ ऐसा होना चाहिए कि हम कुछ न कुछ हासिल करने की कोशिश करते रहेंतो आइए हम जीवन में आगे बढ़ने के लिए एक ईमानदार कोशिश करें और जिन्दगी को अपने तरीके से चलने दें।